AAP सांसद राघव चड्ढा की क‍िस याच‍िका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा

 आम आदमी पार्टी से सांसद राघव चड्ढा की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और राघव चढ्ढा के वकील से लिखित दलीलें जमा करने को कहा है. 


इस मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता, क्‍योंक‍ि ये पार्लियामेंट का अधिकार क्षेत्र में आता है. वहीं राघव चढ्ढा के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि 60 दिन तक अगर हाऊस में नहीं गए तो सीट खाली घोषित हो सकती है. ऐसे में कैसे अनिश्चित काल तक सस्पेंड किया जा सकता है. अब इस मामले पर शुक्रवार को अगली सुनवाई होगी.

इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम विशेषाधिकार हनन के विस्तृत विषय या विशेषाधिकार कमेटी के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देंगे. कोर्ट के सामने जो विचार का मसला है वो अनिश्चित काल तक राज्यसभा से राघव चड्डा का निलम्बन है.

राघव चढ्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती दी है. अगस्त में राघव चड्ढा को निलंबित किया गया था. राघव की तरफ से दलील दी गई है कि उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला नहीं बनता है. अगर मामला बनता भी है, तो नियम 256 के तहत उन्हें सिर्फ उसी सत्र तक के लिए निलंबित किया जा सकता था. आपको बता दें क‍ि यह मामला अभी संसद की विशेषाधिकार कमेटी के पास है.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 16 अक्टूबर को चड्ढा की याचिका पर राज्यसभा सचिवालय से जवाब मांगा था. शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर फैसला सुनाने के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से भी सहायता मांगी थी. पीठ ने चड्ढा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और वकील शादान फरासत की दलीलों पर ध्यान दिया था कि निलंबन उस विशेष सत्र से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है जिसके दौरान सदस्य को निलंबित करने का निर्णय लिया गया था.

शीर्ष अदालत ने द्विवेदी की दलीलों पर भी ध्यान दिया था कि मामला एक ‘महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा’ उठाता है और निर्णय के लिए सात मुद्दों पर गौर किया. चड्ढा को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट लंबित रहने तक ‘नियमों के घोर उल्लंघन, कदाचार, उद्दंड रवैया और अवमाननापूर्ण आचरण’ के लिए मानसून सत्र के आखिरी दिन निलंबित कर दिया गया था.



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