Rajasthan Election 2023: 'पहले चुनाव जीत लें, फिर सीएम पर सवाल...', अशोक गहलोत पर बोले सचिन पायलट

 नई दिल्ली. राजस्थान में विधानसभा के चुनावों से पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने News18 को दिए एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि उन्हें भरोसा है कि राजस्थान में लोग परंपरा को तोड़ना चाहते हैं और उनकी पार्टी कांग्रेस (Congress) को फिर से चुनना चाहते हैं. टोंक से दोबारा टिकट मिलने के एक दिन बाद पायलट ने कहा कि पार्टी को पहले जीतना जरूरी है 


और फिर देखना होगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से अतीत में पायलट के साथ तल्ख रिश्ते रहे हैं. गहलोत ने उन पर कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था और उन्हें ‘नाकारा’ और ‘गद्दार’ भी कहा था. इस मुद्दे पर खुलकर बात करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि दोनों नेता अब एकजुट हैं.

सचिन पायलट ने रविवार को टोंक में News18 को बताया कि ‘मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुझसे कहा…आपको भूलना होगा, माफ करना होगा और आगे बढ़ना होगा. एक बार बोले गए शब्द कभी वापस नहीं लिए जाते. हमें उससे आगे देखना होगा और हम एकजुट होकर काम कर रहे हैं. 


हमारे लिए, निजी पसंद और नापसंद तब पीछे रह जाती है जब आपको राजस्थान के लोगों को देखना होता है जो हमसे कुछ उम्मीद करते हैं.’ अगर उनकी पार्टी जीतती है तो उनके सीएम बनने के मुद्दे पर पायलट ने कहा कि ‘हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण जीतना है. भविष्य में क्या होगा, यह तो मैं भी नहीं जानता. हमें चुनाव जीतना है और फिर देखें क्या होता है.’


सचिन पायलट ने कहा कि यह देखते हुए कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को कैसे दरकिनार किया जा रहा है, भारतीय जनता पार्टी (BJP) में बहुत कुछ गड़बड़ है. उन्होंने कहा कि बीजेपी एक अप्रभावी विपक्ष साबित हुई है. पायलट ने यह भी दावा किया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में लहर राजस्थान में भी कांग्रेस की मदद कर रही है. उनके इंटरव्यू का संपादित अंश यहां दिया गया है.


आप टोंक और राजस्थान में कांग्रेस की संभावनाओं को कैसे देखते हैं?

पिछली बार जब मैंने चुनाव लड़ा था तो टोंक में भाजपा का विधायक था. लोगों ने भारी अंतर से जीत दिलाने में मेरा समर्थन किया. केवल मेरी सीट टोंक ही नहीं, अधिकांश मतदाताओं में यह साफ भावना है कि हमें पिछले तीन दशकों की इस प्रवृत्ति को तोड़ना है कि आप हर पांच साल में सरकार बदल देते हैं. अपनी यात्रा में मुझे जो व्यापक समझ मिली है वह यह है कि लोग कांग्रेस सरकार को दोहराना चाह रहे हैं.

आपको क्या लगता है ऐसा क्यों होगा?

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कांग्रेस सरकार ने काम किया है और इस तथ्य के कारण भी कि भाजपा एक अप्रभावी विपक्ष साबित हुई है. भाजपा पिछले पांच साल में अधिकतर समय सड़कों और यहां तक कि विधानसभा से भी गायब रही. लोगों के मुद्दों पर उन्हें जितना जोश दिखाना चाहिए था, वह गायब है. अब पिछले तीन महीनों में ट्रक पर खड़े होकर यात्रा करना और लोगों से यह उम्मीद करना कि वे आपको वोट देंगे, मुझे नहीं लगता कि इस बार यह काम करेगा. इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस वापसी करेगी.

पहले आपके और सीएम गहलोत के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी. क्या आप दोनों ने मनमुटाव छुपा लिया है?

यह कोई आदान-प्रदान नहीं था. मैं अपने शब्दों को लेकर काफी संयमित था और पिछले 25 साल में मैंने इसी तरह अपनी राजनीति की है. मैं उस बारे में बात नहीं करना चाहता क्योंकि यह अतीत है और हमें भविष्य को देखना है. 

जैसा कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुझसे कहा था, जब मैं दिल्ली में उनसे मिलने गया था. उन्होंने कहा था कि तुम्हें माफ करना होगा, भूलना होगा और आगे बढ़ना होगा. यही वह मंत्र है, जो कांग्रेस में हम सभी के लिए सच है. जो समय बीत गया, वह चला गया और वापस नहीं आएगा. एक बार बोले गए शब्द कभी वापस नहीं लिए जाते. हमें इससे आगे देखना होगा और हम उम्मीदवारों के चयन और प्रचार के मामले में राजस्थान कांग्रेस में एकजुट होकर काम कर रहे हैं. 

भाजपा के विपरीत कोई खींचतान और दबाव नहीं है. हमारे लिए निजी पसंद-नापसंद, महत्वाकांक्षाएं और विकल्प पीछे रह जाते हैं, जब आपको राजस्थान के लोगों को देखना होता है, जो हमसे कुछ उम्मीद करते हैं. हमें साथ मिलकर काम करना है और हम साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हमें चुनाव जीतना है और फिर देखें क्या होता है.


तो अगर कांग्रेस जीतती है तो क्या हम आपसे राजस्थान के अगले सीएम के रूप में बात कर रहे हैं?

हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है जीतना. एक बार जब हम जीत जाएंगे, तब देखेंगे कि विधायक और नेतृत्व क्या करने का फैसला लेते हैं.

यहां आपके समर्थकों का कहना है कि इस बार आपको सीएम बनाया जाना चाहिए क्योंकि 2018 में आपको अपना हक नहीं मिला…

यही भावना हो सकती है. पार्टी ने अपने सभी नेताओं को जगह दी है. जहां तक मेरा सवाल है, मुझे जो भी काम दिया गया, जयपुर में या दिल्ली में या संगठन में, मैंने लोगों की सेवा करने के लिए उसे पूरी तरह से निभाया है. भविष्य में क्या होगा, यह तो मैं भी नहीं जानता. मैं बस इतना कह सकता हूं कि हमारा पहला काम बहुमत हासिल करना और जनादेश सुरक्षित करना है. एक बार जब हम ऐसा कर लेंगे, तो विधायक तय करेंगे कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा.


प्रियंका गांधी ने पूछा कि बीजेपी का सीएम चेहरा कौन है, लेकिन कांग्रेस के पास भी साफ सीएम चेहरा नहीं है…

खैर, अंतर यह है कि भाजपा में केंद्रीय नेता आते हैं और कहते हैं कि कमल को वोट दो और पीएम के चेहरे पर वोट दो. पीएम अपना पद नहीं बदलेंगे और सीएम नहीं बनेंगे. राजस्थान में, हम सभी राज्य के नेता हैं और राजस्थान में परंपरा रही है कि जीतने वाले विधायक और दिल्ली में नेतृत्व तय करता है कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा. 

हम दिल्ली में बैठे किसी व्यक्ति के नाम पर वोट नहीं मांग रहे हैं. हम राजस्थान में बैठे नेतृत्व और हमने जो काम किया है उसके नाम पर वोट मांग रहे हैंराजस्थान में बीजेपी काफी आश्वस्त दिख रही है और उसका कहना है कि उसने कानून व्यवस्था और पेपर लीक मुद्दे पर कांग्रेस को घेर लिया है. यहां तक कि आपने बाद वाला भी उठाया…

पेपर लीक जाहिर तौर पर एक गंभीर मुद्दा है, और सिर्फ यहीं नहीं, बल्कि देश में कहीं भी. जब युवाओं की वर्षों की मेहनत बर्बाद हो जाती है तो कार्रवाई न करना हमारे लिए गलत है. गरीब परिवार युवाओं की ट्यूशन और कोचिंग पर पैसा खर्च करते हैं. मुझे खुशी है कि सरकार ने राजस्थान में आजीवन कारावास की सजा का एक नया कानून पारित किया है, जो निवारक साबित हो रहा है. मुझे लगा कि यह एक मुद्दा है, जिसे हमें उठाना चाहिए था और मुझे खुशी है कि हमने ऐसा किया.


इसके अलावा, भाजपा यह दावा करती है कि विशेष रूप से राजस्थान में कानून-व्यवस्था (खराब) मुद्दा है, तो देखें कि मध्य प्रदेश या उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है. हां, यह राज्य का विषय है, लेकिन जहां भी कोई घटना हुई है, की गई कार्रवाई मायने रखती है और सरकार ने उचित तरीके से कार्रवाई की है और, ज्यादातर बार, अपराधी पकड़े गए हैं. 

अब उन्हें पर्याप्त सजा देना न्यायपालिका का काम है. ऐसे और भी कई राज्य हैं, जिनका प्रदर्शन सबसे खराब है. यहां राजस्थान में न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआईआर कायम करना अनिवार्य है, इसीलिए रिपोर्ट किए जाने वाले मामलों की संख्या अधिक है.


तो क्या राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है?

मुझे नहीं लगता कि यह कहना सही है कि कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार के खिलाफ नौ साल की सत्ता विरोधी लहर है और वर्तमान में राजस्थान में भाजपा की अव्यवस्था है. महंगाई है, नौकरियां खत्म हो रही हैं और अमीर और गरीब के बीच असमानता बढ़ रही है, जिस तरह से संस्थानों का राजनीतिकरण किया गया है- युवा लोग यह सब देख रहे हैं और यह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ काम कर रहा है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में लहर राजस्थान में कांग्रेस की संभावनाओं को मदद कर रही है







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