Mission Raniganj Review: दमदार कलाकारों ने पार लगाया अक्षय का बेड़ा, ‘लगान’ की याद दिलाती टीनू देसाई की फिल्म
कोई 22 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘लगान’ अगर याद हो तो उसकी कहानी का मूल तत्व यही रहा कि एक विकट परिस्थिति के सामने कैसे अलग अलग सोच वाले लोग एक विपदा को टालने एकजुट होते हैं और तयशुदा हार को जीत में बदल देते हैं। जीवन के संघर्ष की ऐसी ही कुछ कहानी है फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ की।
फिल्म का निर्देशन, संगीत और अभिनय भले उस स्तर का न हो लेकिन ये फिल्म भी जीने का हौसला रखने और सामने खड़ी हार को अपनी जिजीविषा से विजय में बदल देने के संघर्ष में दर्शकों को अपने साथ जोड़ लेने का अच्छा प्रयास है। फिल्म की शूटिंग चूंकि ब्रिटेन में बने सेट पर हुई है लिहाजा इसमें वातावरण अपना उतना असर नहीं छोड़ पाता है
जितनी कि ऐसी कहानियों में जरूरत होता है लेकिन फिल्म ‘रुस्तम’ के सात साल बाद निर्देशन में लौटे निर्देशक टीनू देसाई दो घंटे 14 मिनट की इस फिल्म में फर्स्ट डिवीजन पास होने में सफल रहे हैं।
मिशन रानीगंज
कलाकार- अक्षय कुमार , कुमुद मिश्रा , पवन मल्होत्रा , वरुण बडोला , दिब्येंदु भट्टाचार्य , राजेश शर्मा , वीरेंद्र सक्सेना , अनंद महादेवन , जमील खान , सुधीर पांडे , रवि किशन और परिणीति चोपड़ा
लेखक- विपुल के रावल , दीपक किंगरानी और पूनम गिल
निर्देशक- टीनू सुरेश देसाई
निर्माता- वाशू भगनानी , दीपशिखा देशमुख , जैकी भगनानी और अजय कपूर
रिलीज- 6 अक्तूबर 2023
असली बचाव अभियान पर बनी फिल्म
फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ उन जसवंत सिंह गिल की कहानी है जिन्होंने हकीकत में एक कोयला खदान में फंसे मजदूरों को अपनी त्वरित बुद्धि से बचा लिया था। फिल्म अपना कालखंड स्थापित करने के लिए दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कालजयी धारावाहिक ‘महाभारत’ की मदद लेती है और शुरुआती नाच गाने के बाद थोड़ी देर से मुद्दे पर आती है।
जसवंत सिंह गिल को शुरू में कोई गंभीरता से नहीं लेता है लेकिन खदान के स्थानीय प्रबंधन को उसमें उम्मीद नजर आती है। पारंपरिक तकनीक से इतर प्रयोग करने में उसका साथ देने वाले तकनीशियन की मदद से एक और एक ग्यारह बनते हैं। काम शुरू होता है। कारोबारी रंजिश रखने वाले कुछ लोग चाहते हैं कि ये मिशन किसी तरह सफल न हो। अड़ंगे लगाए जाते हैं। साजिशें रची जाती हैं लेकिन अंत भला तो सब भला...।
अक्षय कुमार की सोलो फिल्म
लगातार कोई आधा दर्जन फ्लॉप फिल्में देने के बाद अभिनेता अक्षय कुमार की किस्मत उनकी पिछली फिल्म ‘ओएमजी 2’ से बदली है हालांकि उस फिल्म की सफलता का अधिकतर श्रेय इसके दो मुख्य कलाकारों पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम को जाता है।
फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ अक्षय कुमार की सोलो फिल्म है। इन दिनों हालांकि वह सोलो फिल्में करने से बच रहे हैं और ऐसी फिल्में ही अधिक कर रहे है जिनमें फिल्मों को संभालने की जिम्मेदारी उनके साथ साथ कुछ और मुख्य कलाकार भी निभाएं लेकिन अप्रत्याशित रूप से ये अच्छी फिल्म बन पड़ी है और इसमें एक सरदार की वेशभूषा में अक्षय कुमार ने खासा प्रभावित भी किया है। घर में पत्नी के गर्भवती होने और उसे डॉक्टर को दिखाने ले जाने की तारीख होने के बावजूद गिल जब अपना कर्तव्य निभाने मैदान में आ डटता है तो दर्शकों की सहानुभूति इस किरदार के साथ अपने आप आ जुटती है।
अक्षय ने भी अपनी चिर परिचित हरकतों को किनारे रख यहां संजीदा अभिनय किया है और फिल्म को आखिर तक संभाले रखा है।
सहायक कलाकारों की मजबूत टीम
आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘लगान’ की तरह निर्देशक सुरेश टीनू देसाई ने यहां भी सहायक कलाकारों की एक लंबी फौज कहानी को संभाले रखने के लिए अपने साथ ली है। और, उन्हें इसमें मदद भी खूब मिलती है। खासतौर से उज्ज्वल के रूप में कुमुद मिश्रा, पाशु के रोल में जमील खान, भोला के किरदार में रवि किशन और जुगाड़ वाले तकनीशियन के रूप में पवन मल्होत्रा ने फिल्म में सराहनीय काम किया है।
बचन पचेरा, सुधीर पांडे, मुकेश भट्ट और ओंकार दास मानिकपुरी जैसे परिचित चेहरों की मौजूदगी भी फिल्म का तनाव बनाए रखने में मदद करती है। दिब्येंदु भट्टाचार्य, राजेश शर्मा और शिशिर शर्मा ने फिल्म के स्याह रंगों को संभाला है। फिल्म में परिणीति चोपड़ा के जिम्मे दो गाने और चार पांच दृश्य ही आए हैं लेकिन फिर भी उनकी मौजूदगी फिल्म को जहां जरूरी होता है वहां एक भावुक मोड़ देने के काम आती रहती है।
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